सब्जियों के रोग और उनका नियंत्रण ­- Vegetable Diseases and Their Control in Hindi

सब्जियां हमारे जीवन में बहुत आवश्यक हैं, क्योंकि यह हमें महत्वपूर्ण विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स प्रदान करती है। भारत में कई तरह की सब्जियां उगाई जाती हैं, और अच्छे उत्पादन के लिए इन्हें रोगों से सुरक्षित रखना होता है। सब्जियों के पौधे हवा, पानी या मिट्टी से होने वाली बीमारियों से कभी भी प्रभावित हो सकते हैं। सब्जियों में होने वाले यह रोग पौधों की उत्पादन क्षमता को बेहद प्रभावित करते हैं। अगर आप सब्जियों के पौधों में होने वाले रोग के कारण को जल्द समझ लें और उनके लक्षणों का निवारण कर पाएं, तो ऐसे में फसल को खराब होने से बचाया जा सकता है। सब्जियों के पौधों में कवक, बैक्टीरिया और वायरस जैसे रोगजनक एजेंट, रोगों का कारण बनते हैं। इस लेख में हम आपको सब्जियों के रोग और उनका नियंत्रण करने के उपाय के बारे में बताएँगे, जिससे आप फसलों को खराब होने से बचा पाएंगे।

सब्जियों में होने वाले रोगों के कारण – Causes of Vegetable Diseases in Hindi

कई प्रकार के जीव सब्जियों के संक्रामक रोगों का कारण बनते हैं। लेकिन अगर देखा जाए तो पौधों में मुख्य रोगजनक निम्न हैं:

  • कवक (fungus)
  • वाटर मोल्ड (water mold)
  • बैक्टीरिया (bacteria)
  • वायरस (virus)
  • नेमाटोड (nematodes)।

सब्जी वाले पौधों में रोग के लक्षण – Diseases Symptoms in Vegetable Plants in Hindi

जब सब्जियों के पौधे रोग ग्रसित होते हैं, तो उनमें कई तरह के लक्षण देखे जा सकते हैं, जैसे

  • पौधों का मुरझाना
  • मलिनकिरण (discoloration)
  • पत्तियों पर धब्बे पड़ना (Leaf spot)
  • पौधों की पत्तियों, तनों और जड़ों का सड़ना।

पौधों में होने वाले रोगों के रोगजनक अपनी ऊर्जा फसलों से लेते हैं, जिसके कारण ही उन पौधों पर लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

सब्जियों में होने वाले मुख्य रोग – Vegetables Diseases in Hindi

फंगल (कवक) सब्जियों में सबसे ज्यादा पाया जाता है और यह पौधों में विभिन्न रोगों का कारण होते हैं, क्योंकि अधिकांश वनस्पति पौधों के रोग कवक के कारण होते हैं। कवक रोग पौधे की कोशिकाओं को मारकर और उन्हें स्ट्रेस देकर नुकसान पहुंचाते हैं। कई सब्जियों के पौधे की पत्तियों पर फफूंद रोग की वजह से धब्बे देखे जाते हैं जिनमें भूरे, पीले या काले धब्बे आम हैं।

सब्जी वाले पौधों में होने वाले मुख्य रोग और उनका उपचार कुछ इस प्रकार हैं:

(और पढ़ें: बारिश में पौधों को फंगल इन्फेक्शन से बचाएं, अपनाएं ये तरीके…)

काला सड़ांध या ब्लैक रोट – Black Rot of Vegetable Diseases in Hindi

काला सड़ांध या ब्लैक रोट - Black Rot of Vegetable Diseases in Hindi

ब्लैक रोट रोग क्रूसिफेरस (Cruciferous) सब्जियों की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है और यह बैक्टीरिया ज़ैंथोमोनस कैंपेस्ट्रिस पीवी (Xanthomonas campestris pv) की वजह से होता है। कैम्पेस्ट्रिस एक बहुत ही खतरनाक जीवाणु रोग (bacterial diseases) है जो ब्रोकोली, ब्रसल स्प्राउट, पत्तागोभी, फूलगोभी, केल और शलजम जैसी सब्जियों में होता है। इस रोग के प्रारंभिक लक्षण के रूप में आप शिराओं के काले पड़ने के साथ पीले रंग के वी-आकार के घाव देख सकते हैं।

ब्लैक रोट (Black rot) को दूर कैसे करें

बैसिलस एसएसपी (Bacillus spp) जैसे एंटी बैक्टीरियल स्प्रे (anti-bacterial spray), ब्लैक रोट रोग पर काफी असरदार साबित होते हैं। इस तरह के स्प्रे पौधे की रक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और पौधे का विकास और फसल की उपज में कम ऊर्जा डालते हैं।

तुषार रोग या झुलसा रोग – Blight Diseases in Vegetable Plants in Hindi

तुषार रोग या झुलसा रोग - Blight Diseases in Vegetable Plants in Hindi

झुलसा रोग अर्थात तुषार रोग आलू और टमाटर का एक गंभीर रोग है। इस रोग के कारण पौधे की पत्तियां मुरझा जाती हैं और किनारों से अंदर की ओर भूरे रंग की हो जाती हैं। इस रोग की वजह से पत्तियां सूख सकती हैं और मुड़ जाती हैं। नमी की स्थिति में पात्तियों के किनारों के आसपास एक सफेद कवक का विकास हो सकता है। गंभीर स्थिति में पौधों के तने भूरे रंग के हो जाते हैं और पौधे गिरकर मर जाते हैं।

तुषार रोग (blight disease) को दूर कैसे करें

जैसे ही आप पौधों में इस रोग के लक्षण देखें, तो ऐसे में प्रभावित हिस्सों को ध्यान से हटा दें और नष्ट कर दें। इसके अलावा आप पौधों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपयुक्त कवकनाशी (fungicide) का छिड़काव कर सकते हैं। रोग पर कंट्रोल करने के लिए बढ़ते मौसम में या गर्म मौसम और नमी वाली स्थितियों में लक्षण दिखाई देने से पहले फंगीसाइड का स्प्रे करें।

सब्जियों में होने वाले रोग कोमल फफूंदी – Downy Mildew Vegetable Diseases in Hindi

सब्जियों में होने वाले रोग कोमल फफूंदी - Downy Mildew Vegetable Diseases in Hindi

डाउनी मिल्ड्यू (Downy mildew) रोग जिसे हिंदी में कोमल फफूंदी के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग सब्जियों में पेरोनोस्पोरा ब्रासिका (Peronospora brassicae) कवक के कारण होता है। सब्जियों के पौधों में यह रोग होने पर पत्ती की ऊपरी सतह पर अनियमित पीले रंग के धब्बे और नीचे की सतह पर भूरे रंग के धब्बे देखे जा सकते हैं। इसमें पत्ती के घावों की निचली सतह सफेद या भूरे रंग के माइसीलियम (Mycelium) से ढकी हुई होती हैं। इस रोग से संक्रमित होने पर पत्तियां सूख भी जाती हैं। आपको बता दें कि डाउनी मिल्ड्यू रोग कई तरह की सब्जियों की फसलों में होता है।

डाउनी मिल्ड्यू (Downy mildew) रोग को रोकने का तरीका

कोमल फफूंदी (डाउनी मिल्ड्यू) को रोकने के लिए आपको इसके अनुकूल परिस्थितियों से बचना होता है। बता दें कि आपको पौधे को सुबह के समय पानी देना होगा, जिससे कि इसे सूखने के लिए पूरे दिन का समय मिल जायेगा। अगर आपको डाउनी मिल्ड्यू इन्फेक्शन का पता जल्दी चल जाता है, तो ऐसे स्थिति में आप फसल की कटाई तक हर 7 से 10 दिनों में कॉपर फंगीसाइड का इस्तेमाल करें। इसके अलावा जो भी पौधे गंभीर रूप से संक्रमित हैं उन्हें हटा दें।

(यह भी जानें: बेल वाली सब्जियों में लगने वाले कीट और रोग एवं बचाव के तरीके…)

सब्जी की फसल में लगने वाले रोग पाउडर फफूंदी – Vegetable Plants Disease Powdery Mildew in Hindi

सब्जी की फसल में लगने वाले रोग पाउडर फफूंदी - Vegetable Plants Disease Powdery Mildew in Hindi

सब्जियों में होने वाला रोग पाउडर फफूंदी (Powdery Mildew) पौधे की पत्तियों की सतहों पर एक सफेद पाउडर कोटिंग के रूप में फल जाती है। इस रोग से मुख्यतः मटर, बीन, भिंडी, खीरा, खरबूज, कुकुरबिटा और कद्दू प्रभावित होते हैं। इस रोग से प्रभावित पौधों पर गहरे भूरे या चमकीले पीले रंग के धब्बे भी दिखाई दे सकते हैं।

पाउडर फफूंदी (Powdery Mildew) को कैसे रोके

पाउडरी मिल्ड्यू एक बहुत ही खतरनाक रोग है अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं दिया गया तो पौधे मर भी सकते हैं, या फलने-फूलने में दिक्कत आ सकती है। इस रोग से बचने का एक तरीका है कि आप संक्रमित पौधों की पत्तियों और तनों को हटा दें, इससे आपको अगले सीजन में इस रोग को रोकने में मदद मिलेगी। इस रोग की रोकथाम के लिए आपको प्रतिरोधी किस्मों का चयन करना होगा। इस रोग को फैलने से रोकने के लिए आप छांछ का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, क्योंकि यह एक प्राकृतिक कवकनाशक का काम करता है। इसके अलावा नीम का तेल, सल्फर, पोटेशियम-फॉस्फेट युक्त उर्वरक और पत्तियों के लिए एस्कॉर्बिक एसिड वाला स्प्रे का इस्तेमाल आप पाउडर फफूंदी के संक्रमण को रोकने के लिए कर सकते हैं।

(और पढ़ें: पाउडरी मिल्ड्यू रोग के लक्षण तथा नियंत्रण के उपाय…)

सब्जी के रोग बैक्टीरियल विल्ट – Vegetable Diseases Bacterial wilt in Hindi

सब्जी के रोग बैक्टीरियल विल्ट - Vegetable Diseases Bacterial wilt in Hindi

बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial wilt) टमाटर और मिर्च के पौधों की मिट्टी से होने वाली एक गंभीर बीमारी है। यह रोग मुख्य रूप से राल्सटोनिया सोलानेसीरम (Ralstonia solanacearum) बैक्टीरिया के कारण होता है। इस रोग के लक्षण के रूप में गर्म मौसम में पत्तियों का तेजी से मुरझाना देखा जा सकता है। जैसे जैसे यह रोग बढ़ता है तो यह पूरे पौधे को भी सुखा सकता है।

बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial wilt) को कैसे दूर करें

आपको बता दें कि बैक्टीरियल विल्ट रोग का कोई प्रभावी रासायनिक नियंत्रण नहीं है। बैक्टीरियल विल्ट रोग के प्रसार को रोकने का प्रभावी तरीका है कि आप रोगग्रस्त पौधों को हटा दें।

(और पढ़ें: मिर्च में होने वाले रोग, उनके लक्षण तथा नियंत्रण के उपाय…)

सब्जी के पौधे में होने वाला रोग क्लब रूट – Club Root of Vegetable Plants in Hindi

सब्जी के पौधे में होने वाला रोग क्लब रूट - Club Root of Vegetable Plants in Hindi

क्लब रूट (Club Root) एक कवक रोग है, जिससे प्रभावित होने वाले पौधे पीले रंग के तथा छोटे होते हैं और आसानी से मुरझा जाते हैं। यह रोग मुख्य रूप से गोभी परिवार में पौधों को प्रभावित करता है। क्लबरूट संक्रमित पौधों की जड़ें मोटी, अनियमित आकार में सूज जाती हैं। यह रोग ब्रोकली, पत्ता गोभी, फूलगोभी, शलजम, और मूली के पौधों में होता है।

क्लबरूट (Club Root) को कैसे रोकें

क्लब रूट (Club Root) रोग का नियंत्रण कर पाना बहुत मुश्किल होता है। इस रोग को फैलने से नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका है कि एक ही क्षेत्र में हर 3 या 4 साल में एक बार से अधिक ब्रैसिका (Cabbages) के पौधे नहीं लगाना चाहिए।

लीफ ब्लाइट (पत्ती झुलसा) रोग – Leaf Blight of Vegetable Diseases in Hindi

लीफ ब्लाइट (पत्ती झुलसा) रोग - Leaf Blight of Vegetable Diseases in Hindi

पत्ती झुलसा या लीफ ब्लाइट राइज़ोक्टोनिया सोलानी (Rhizoctonia solani) फंगस द्वारा होता है। आपको बता दें कि यह रोग खरबूजे में होना तो आम बात है, लेकिन यह इसके अलावा ककड़ी, कद्दू और कुकुरबिटा को भी प्रभावित कर सकता है। जो भी सब्जियों के पौधे इस रोग से संक्रमित होते हैं, उनकी पत्तियों में हल्के हरे या भूरे रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं। बता दें कि इस कवक रोग से आलू और टमाटर भी प्रभावित होते हैं। जब पौधों में यह रोग होता है तो पहले पत्तियाँ सिकुड़ कर सड़ जाती हैं, और भूरे रंग की हो जाती है। पत्ती झुलसा रोग आमतौर पर, बाद की गर्मियों में और गीले मौसम में पनपता है।

सब्जियों में होने वाले अन्य रोगों के नाम – Other Diseases That Occur in Vegetable Plants in Hindi

ऊपर बताए गए रोगों के अलावा सब्जी वाले पौधों में निम्न बीमारियाँ भी हो सकती हैं, जैसे

  • एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose)
  • बैक्टीरियल लीफ स्पॉट (Bacterial Leaf Spot)
  • वर्टिसिलियम (Verticillium)
  • फुसैरियम (Fusarium)
  • बैक्टीरियल ब्राउन स्पॉट (Bacterial brown spot)

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