पौधों में जड़ सड़न रोग (रूट रॉट) के कारण और बचाने के उपाय – Root Rot Diseases Causes and Prevention In Hindi

क्या आपके गमले या ग्रो बैग में लगे पौधों की ग्रोथ रुक गयी है या उनकी पत्तियां पीली पड़ रहीं है? इन सभी समस्याओं का कारण पौधों में होने वाला जड़ सड़न रोग हो सकता है। जड़ सड़न रोग को रूट रोट या जड़ गलन रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा रोग है जिसको पहचानना थोड़ा कठिन होता है, इसीलिए इस लेख में हम आपको इस रोग के बारे में कई जानकारियां जैसे जड़ सड़न रोग या रूट रॉट क्या है, जड़ गलन रोग के लक्षण, रोकथाम के उपाय और पौधे को इस रोग से बचाने के तरीके के बारे में बताने जा रहे हैं। अतः इन सभी जानकारियों को प्राप्त करने के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें।

जड़ सड़न रोग क्या है What Is Root Rot Diseases In Plants In Hindi

जड़ सड़न रोग क्या है – What Is Root Rot Diseases In Plants In Hindi

पौधों में पानी की अधिकता (Overwatering) हो जाने से मिट्टी अधिक गीली (Soggy) और संकुचित (Compressed) हो जाती है जिसके कारण मिट्टी में उपस्थित वायु रंध्र (Air Holes) बंद हो जाते हैं। पौधों की जड़ों को स्वस्थ रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है लेकिन मिट्टी में उपस्थिंत वायु रंध्र बंद होने से जड़ें, मिट्टी से ऑक्सीजन ग्रहण नहीं कर पाती हैं जिसके कारण जड़ें गलने और सड़ने लगती हैं। इस रोग में जड़ों के नष्ट (Roots Decay) होने के कारण पौधे को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिसके कारण पौधे की ग्रोथ रुक जाती है और वह धीरे धीरे नष्ट होने लगता है। इसे ही जड़ सड़न या जड़ गलन रोग (Root Rot Diseases) कहते हैं।

पौधों में जड़ गलन रोग के लक्षण Root Rot Disease Symptoms In Plants In Hindi

पौधों में जड़ गलन रोग के लक्षण - Root Rot Disease Symptoms In Plants In Hindi

जड़ गलन रोग का समय पर पता लगाना कठिन होता है, क्योंकि यह मिट्टी के अन्दर पौधे की जड़ों में होता है। इस रोग से जब जड़ें अधिक प्रभावित हो जाती हैं, तब पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो जाने से कुछ लक्षण नजर आते हैं, जिनके बारे में आप आगे इस लेख में जानेंगे। आइये जानते हैं पौधों में जड़ सड़न रोग के लक्षण के बारे में:

  • पौधे की ग्रोथ रुक जाना
  • पत्तियों का पीला पड़ना
  • पौधे की पत्तियों का मुरझाना
  • जड़ों का गलना तथा पौधा मुरझाया हुआ दिखाई देना।

(और पढ़ें: बरसात में पौधे क्यों मर जाते हैं जानें इसके कारण और उपाय...)

पौधों की ग्रोथ रुक जाना – Plants Stop Growing Due To Root Rot Disease In Hindi

जड़ सड़न रोग हो जाने के कारण पौधों की जड़ें पर्याप्त मात्रा में मिट्टी से ऑक्सीजन, और अन्य पोषक तत्वों को ग्रहण नहीं कर पाती हैं, जिसके कारण पौधे की ग्रोथ स्लो हो जाती है या रुक जाती है।

पौधों की पत्तियों का पीला होना – Yellowing Of Leaves Due To Root Rot In Plants In Hindi

जड़ सड़न रोग के सामान्य लक्षणों में पौधे की पत्तियों का आकार छोटा होना और उनका पीला पड़ना शामिल है। जब मिट्टी में पानी की अधिकता हो जाती है, तो उसके कारण जड़ें सड़ने लगती है। रूट डैमेज होने से पौधों को पोषक तत्व और पानी प्राप्त नहीं हो पाता, जिससे क्लोरोफिल का उत्पादन कम हो जाता है और फलस्वरूप पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं।

पत्तियों का मुरझाना – Wilting Of Leaves Is Caused By Root Rot In Hindi

जब जड़ें सड़ने लगती हैं, तो ये मिट्टी से महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता खो देती हैं। अतः पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधे की पत्तियाँ सिकुड़ने लगती हैं और कई बार गिरने भी लगती हैं, इसे स्टंटिंग (Stunting) कहते हैं।

पौधे की जड़ों का ब्राउन या काला होना – Root Turns Black Or Brown In Root Rot Disease In Hindi

जब पौधे में ऊपर बताए गए लक्षण नजर आयें, तब पौधे लगे गमले की ऊपरी मिट्टी को हटा कर जड़ों की जांच करें। पौधों में जड़ सड़न रोग को नरम, काली या ब्राउन जड़ों से पहचाना जा सकता है, जबकि स्वस्थ पौधे की जड़ें मजबूत और सफेद होती हैं।

पौधों में जड़ सड़न रोग होने के कारण – Causes Of Root Rot Disease In Plants In Hindi

प्लांट्स में जड़ सड़न रोग (Root Rot Disease) होने के सबसे मुख्य कारण ओवर वाटरिंग और मिट्टी की खराब जल धारण क्षमता होना है। लेकिन इसके अलावा भी जड़ सड़न रोग होने के अन्य कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में आप आगे इस आर्टिकल में जानेंगे। आइये जानते हैं पौधों में होने वाले रूट रोट या जड़ गलन रोग के मुख्य कारण:

पानी की अधिकता – Overwatering Causes Root Rot In Plants In Hindi

पौधों की जड़ों को स्वस्थ रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती होती है, लेकिन ओवर वाटरिंग करने से पौधों की मिट्टी अधिक गीली हो जाती है, जिसके कारण पौधों की जड़ें मिट्टी से ऑक्सीजन को अवशोषित (Absorb) नहीं कर पाती हैं। फलस्वरूप जड़ें सड़ने या गलने लगती हैं। पौधों में ओवरवाटरिंग के कई कारण हो सकते हैं जैसे:

  1. लगातार भारी बारिश में रखे रहने पर पौधे लगे गमले की मिट्टी में पानी लम्बे समय तक भरा रहता है जिसके कारण मिट्टी लम्बे समय तक गीली और नम बनी रहती है।
  2. यदि गमलों में जल निकासी छेद नहीं है, तो पानी को बाहर निकलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती, और पानी पौधे के चारों ओर इकट्ठा होने के कारण जड़ें सड़ने लगती हैं।
  3. खराब जल निकासी वाली मिट्टी में पौधों को लगाने से पौधे में पानी की अधिकता होने लगती है जो की जड़ सड़न रोग का मुख्य कारण है।

फंगस के कारण – Root Rot Disease In Plants Due To Fungus In Hindi

गीली मिट्टी में फंगस लगने का खतरा अधिक रहता है और फंगस के कारण भी पौधों में जड़ सड़न रोग हो सकता है। मिट्टी में पहले से निष्क्रिय रूप में फंगस मौजूद हो सकती है, लेकिन जब मिट्टी अधिक गीली हो जाती है तब पायथियम (Pythium), फाइटोफ्थोरा (Phytophthora), राइजोक्टोनिया (rhizoctonia) जैसे कवक, नम मिट्टी में फंगस लगने का कारण बनते हैं, जिससे पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं।

(और पढ़ें: बरसात में पौधों में होने वाले प्रमुख रोग एवं रोकथाम के उपाय….)

अधिक ठण्ड के कारण – Cold Temperature May Cause Root Rot In Plants In Hindi

सर्दी के दौरान ज्यादा ठन्डे मौसम के कारण पौधों की जड़ों में जड़ सड़न रोग या रूट रॉट हो सकता है। जब ठण्ड के सीजन में पौधों को नमी वाली और छायादार जगह पर रखा जाता है, तब पौधों में इस रोग के होने का खतरा अधिक रहता है।

पौधों में ओवर फर्टिलाइजेशन – Root Rot Due To Over Fertilization In Plants In Hindi

पौधे में आवश्यकता से अधिक उर्वरक डालने से जड़े जलने लगती है और उनका रंग ब्राउन या काला हो जाता है। अतः पौधों में ओवर फर्टिलाइजेशन भी जड़ सड़न रोग का मुख्य कारण है।

पौधों में जड़ सड़न रोग की रोकथाम – Prevent Root Rot Diseases In Plants In Hindi

जड़ सड़न रोग के होने के बाद इससे निपटने की तुलना में, इसकी रोकथाम कर लेना कहीं ज्यादा आसान है। इसीलिए इस लेख में आगे बताई गई टिप्स को फॉलो करें, जिससे पौधों में जड़ सड़न रोग न हो। आइये जानते हैं रूट रॉट डिजीज की रोकथाम के तरीके:

  • वेल ड्रेनिंग सोइल में पौधे लगाना
  • पौधों को ओवर वाटरिंग से बचाना
  • गमले में पर्याप्त ड्रेन होल होना
  • ठण्ड के मौसम में पौधों को पर्याप्त धूप में रखना

अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में पौधे लगाएं – Planting In Well-Drained Soil In Hindi

पौधों को लगाने के लिए अच्छी जल निकासी और उचित वायु संचार (Aerated) वाली, ढीली मिट्टी (Loosen Soil) का उपयोग करने से पानी गमले में भरा नहीं रह पाता, बल्कि तुरंत बाहर निकल जाता है। अतः पौधों में ओवर वाटरिंग की समस्या नहीं हो पाती और जड़ें सड़ने से बच जाती हैं। मिट्टी में रेत, कोकोपीट और गोबर खाद मिलाने से उसकी जल निकासी क्षमता (Draining Capacity) बढ़ जाती है।

पौधों को ओवरवाटरिंग से बचाएं – Avoid Overwatering In Plants To Prevent Root Rot Disease In Hindi

चूंकि नमी की अधिकता जड़ सड़न रोग का मुख्य कारण है, इसीलिए जब पौधे लगे गमले की ऊपरी कुछ इंच की मिट्टी सूखी हो, तभी पौधों को पानी देना चाहिए। बरसात में पौधों के लिए ग्रीन शेड नेट (Green Net Shade) से छाया कर दें, ताकि तेज बारिश से पौधों में ओवर वाटरिंग न होने पाए।

(और पढ़े: पौधों को ओवर वाटरिंग से कैसे बचाएं….)

पर्याप्त ड्रेनेज होल वाले गमलों में पौधे लगाएं – Drainage Hole Pot To Prevent Root Rot In Hindi

यदि आपको अपने पौधों को पानी की अधिकता से बचाना है, तो सबसे पहले आप जिन गमलों या ग्रो बैग में पौधे लगा रहें हैं या पहले से लगे हैं, उनमें जल निकासी छिद्र की जांच अवश्य कर लें, क्योंकि यदि गमले में ड्रेनेज होल ही नहीं होगा, तो पानी गमले में से बाहर नहीं निकल पायेगा। यदि छिद्र नहीं है तो गमले या ग्रो बैग में पेंचकस की मदद से जल निकासी छिद्र बना लें। गमलों की तली (Bottom Of The pot) में मिट्टी भरने से पहले उसमें एक से दो इंच मोटी बजरी या छोटे कंकड़-पत्थर की परत बिछा लें। इससे जल निकासी होल में मिट्टी नहीं फंस पाती और पानी आसानी से गमले में से बाहर निकलता रहता है।

(और पढ़ें: होम गार्डन में ड्रेनेज सिस्टम को मैनेज करने के तरीके….)

अधिक ठंड में पौधों को धूप में रखें – Keep Plants In The Sun In The Cold To Prevent Root Rot In Hindi

ठण्ड के मौसम में यदि आप पौधों को नमी वाले या छायादार स्थान पर रखते हैं, तो इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है, जिसके कारण उसमें फंगस लग सकती है और जड़ें भी खराब होने का खतरा रहता है। इसीलिए सर्दियों के मौसम में पौधों को सीधी धूप में रखना चाहिए।

जड़ सड़न रोग से प्रभावित पौधों को बचाने के तरीके – How To Treat Root Rot In Plants In Hindi

जड़ सड़न रोग से प्रभावित पौधों को बचाने के तरीके – How To Treat Root Rot In Plants In Hindi

आमतौर पर गार्डनर पौधे की पत्तियों में, रोग के लक्षण देखते हैं, न कि इसकी जड़ों में। इसीलिए हम आपको बता दें कि रूट रोट की स्थिति में पत्तियों में लक्षण दिखाई देने तक जड़ों को काफी नुकसान हो चुका होता है। इसलिए जड़ सड़न रोग से प्रभावित पौधे को बचाने के लिए आप निम्न स्टेप्स को फॉलो करें:

सुनिश्चित करें कि पौधा बच सकता है या नहीं – Make Sure Root Rotted Plant Can Survive Or Not In Hindi

पौधे में जड़ सड़न रोग की पहचान हो जाने के बाद, आपको यह देखना होगा कि उस पौधे को बचाया जा सकता है या नहीं। इसके लिए पौधे को धीरे से गमले से बाहर निकाल कर जड़ों की जांच करें। यदि पूरी जड़ प्रणाली ख़राब हो चुकी है अर्थात सभी जड़ें गल या सड़ चुकी हैं, तो पौधे को बचाने में बहुत देर हो चुकी है। हालांकि, यदि पौधे में कुछ स्वस्थ, सफेद, और मजबूत जड़ें मौजूद हों, तो पौधे को बचाया जा सकता है।

जड़ों को साफ करना – Cleaning Roots Of Plants In Hindi

यदि पौधे में कुछ स्वस्थ जड़ें मौजूद हैं तो पौधे को रूट रोट से बचाया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले पानी की मदद से जड़ों में चिपकी मिट्टी को साफ करलें। जब जड़ों में लगी मिट्टी निकल जाये तब उसकी संक्रमित, सड़ी या गली जड़ों को काट कर अलग कर देना चाहिए।

जड़ सड़न रोग से प्रभावित जड़ों को काटना – Trimming Roots Affected By Root Rot Disease In Hindi

जड़ सड़न रोग से प्रभावित जड़ों को काटना – Trimming Roots Affected By Root Rot Disease In Hindi

अच्छी तरह से सैनीटाईज्ड (Sanitized) कैंची की मदद से जड़ सड़न रोग से प्रभावित पौधे की सभी गल चुकी और चिपचिपी जड़ों को काटकर हटा दें।

प्रभावित पत्तियों और शाखाओं की प्रूनिंग करना – Pruning Of Plants Affected By Root Rot Diseases In Hindi

पौधे को इस रोग से बचाने और हरा भरा बनाए रखने के लिए इसकी पीली, मुरझाई पत्तियों की भी छटाई कर देनी चाहिए, लेकिन स्वस्थ पत्तियों को बचा रहने देना चाहिए, ताकि पत्तियां प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के माध्यम से भोजन निर्माण कर सकें।

(और पढ़ें: पौधों की अच्छी ग्रोथ के लिए प्रूनिंग करने का सही समय….)

स्वस्थ जड़ों पर फफूंदनाशक का छिड़काव करें – Spray Fungicide On Roots In Hindi

अब पौधे की बची हुई स्वस्थ जड़ों में और पत्तियों में प्रभावी फंगीसाइड का छिडकाव करें। आप घर पर भी जैविक फफूंद नाशक बना सकते हैं, इसके लिए 1 लीटर पानी में 2 बड़े चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर इस घोल में जड़ों को डुबाएं।

पौधे को रिपॉट करना – Repot The Plant In Hindi

अच्छी जल निकासी वाले पॉटिंग मिक्स और साफ सुथरे गमले में इस पौधे को दोबारा ट्रांसप्लांट कर दें। इस बात का ध्यान रखें कि अतिरिक्त पानी बाहर जाने के लिए बर्तन में अच्छी जल निकासी की सुविधा हो। रिपॉट करने के कुछ ही दिनों में पौधा फिर से हरा-भरा हो जाएगा।

(और पढ़ें: पौधों को ट्रांसप्लांट करने के टिप्स….)

निष्कर्ष – Conclusion

उम्मीद करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा, जिसमें आपने रूट रॉट या जड़ सड़न रोग के बारे में बहुत कुछ जाना। यदि आपके इस लेख से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हों तो उसे कमेन्ट करके जरुर बताएं।

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