पौधों में पोषक तत्वों (प्लांट न्यूट्रिएंट्स) के कार्य और कमी के लक्षण – Plant Nutrients and their functions in Hindi

हम सभी जानते हैं कि पौधों को बढ़ने के लिए और फलों के उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक के माध्यम से आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति की जाती है। पौधे को बेहतर तरीके से विकसित होने के लिए पोषक तत्व कैसे मदद कर सकते हैं? के बारे में जानने से पहले हमें यह समझना होगा कि पौधों के लिए कौन कौन से पोषक तत्व जरूरी है। इस लेख में आप पौधों के लिए जरूरी पोषक तत्वों (प्लांट न्यूट्रीएंट) के नाम, पौधों में उनके कार्य और पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण के बारे में जानेगें।

पौधे के पोषक तत्व (प्लांट न्यूट्रिएंट्स) – Plant nutrients in Hindi

सर्वोत्तम रूप से विकसित होने और उच्च उत्पादन करने में सक्षम होने के लिए, पौधों में कुछ विशिष्ट तत्व या यौगिक का होना आवश्यक होता है, जिन्हें प्लांट न्यूट्रिएंट्स कहा जाता है।

पौधों को अपने सामान्य विकास के लिए कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिनमें से कुछ तत्व पौधों के लिए अधिक मात्रा में जरूरी होते हैं, जिन्हें मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के रूप में जाना जाता है तथा कुछ पोषक तत्व की उन्हें बहुत सूक्ष्म मात्रा जरूरी होती है, जिन्हें माइक्रो न्यूट्रिएंट्स या ट्रेस तत्व के रूप में जाना जाता है। जब पौधों के लिए इन सभी आवश्यक पोषक तत्वों में से कोई भी तत्व पौधों को उपलब्ध नहीं हो पाता है, तो पौधे पर इसकी कमी के लक्षण देखने को मिलते हैं।

पौधों में पोषक तत्वों की आवश्यकता के आधार पर निम्न भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे:

प्राथमिक पोषक तत्व (प्राइमरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स) – Primary macronutrients in plants in Hindi

इन मैक्रोन्यूट्रिएंट की पौधों को स्वस्थ तरीके से विकसित होने के लिए अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। पौधे के प्राथमिक पोषक तत्व या प्राइमरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स में निम्न शामिल हैं:

  • नाइट्रोजन (N)
  • फास्फोरस (P)
  • पोटेशियम (K)

द्वितीयक पोषक तत्व (सेकेंडरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स) – Secondary macronutrients in plants in Hindi

प्राथमिक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की तरह ही सेकेंडरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स भी पौधों की स्वस्थ वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं, लेकिन इनकी पौधों को कम मात्रा में आवश्यकता होती है। पौधों के लिए आवश्यक सेकेंडरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की संख्या तीन है:

  • कैल्शियम (Ca)
  • मैग्नीशियम (Mg)
  • सल्फर (S)

सूक्ष्म पोषक तत्व (ट्रेस तत्व) – Micronutrients (Trace Elements) in plants in Hindi

पौधों को प्राथमिक या द्वितीयक पोषक तत्वों की तुलना में सूक्ष्म या ट्रेस पोषक तत्वों की कम मात्रा में आवश्यकता होती है। पौधों के लिए आवश्यक माइक्रो न्यूट्रिएंट्स निम्न हैं:

  • जिंक (Zn)
  • लोहा (Fe)
  • मैंगनीज (Mn)
  • मोलिब्डेनम (Mo)
  • कॉपर (Cu)
  • बोरॉन (B)

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पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व और उनके कार्य – Essential plant nutrients and their functions in Hindi

एक पौधा जिसमें एक आवश्यक पोषक तत्व की कमी होती है, वह अपना जीवन चक्र अच्छी तरह से पूरा नहीं कर सकता, बीज अंकुरित नहीं हो सकते हैं, पौधा जड़ों, तनों, पत्तियों या फूलों को ठीक से विकसित न कर पाता है और कुछ स्थितियों में पौधा खुद ही मर जाएगा। अब हम जानेगें कि पौधों में आवश्यक पोषक तत्व के कार्य क्या हैं और इनकी कमी से पौधे में क्या लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

नाइट्रोजन – Nitrogen plant nutrients in Hindi

नाइट्रोजन पौधों के लिए पहला आवश्यक पोषक तत्व है, जो पौधों के लिए मजबूत, जोरदार विकास, गहरे हरे पत्ते के रंग और प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रमुख पोषक तत्व है। पत्तेदार पौधे जैसे लॉन घास (lawn grasses), गेहूं (wheat), जई (oats), छोटी अनाज वाली फसलें (small grain crops) इत्यादि सभी को नाइट्रोजन की भरपूर आवश्यकता होती है। हरे पत्तेदार सब्जियों के लिए उर्वरक खरीदते समय नाइट्रोजन की उच्च मात्रा होनी चाहिए। इसके लिए उर्वरक के NPK अनुपात में N पोषक तत्व सर्वाधिक हो।

पौधों में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण – पौधों में नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधे में लगे पुराने पत्ते हल्के हरे और पीले रंग के हो जाते हैं। पौधे में नाइट्रोजन की कमी से पत्तियां गिरने लगती हैं।

अधिक नाइट्रोजन के कारण भी पौधों को नुकसान पहुँचता है। अधिक नाइट्रोजन से अंकुर मुरझा जाते हैं, तथा युवा पौधों की पत्तियों पर मृत धब्बे दिखाई देते हैं। नरम गहरे हरे पत्तों का समूह कीट और रोग से ग्रस्त हो जाता है।

पौधों को नाइट्रोजन युक्त जैविक उर्वरक देने के लिए आप गोबर की खाद, नीम केक, ब्लड मील, मस्टर्ड केक का प्रयोग कर सकते हैं।

फास्फोरस (P) – Phosphorous plant nutrients in Hindi

फॉस्फोरस का उपयोग पौधों द्वारा मुख्य रूप से जड़ वृद्धि और विकास के लिए किया जाता है। जिन पौधों में फास्फोरस अच्छी मात्रा में होता है, वे अधिक फूल देगें तथा फल बेहतर और तेजी से पकते हैं। फॉस्फोरस पोषक तत्व बारहमासी फूलों के साथ-साथ हाल ही में लगाए गए पेड़ों और झाड़ियों के लिए महत्वपूर्ण है। चूंकि पेड़ों और झाड़ियों को घास और पत्तेदार सब्जियों की अपेक्षा ज्यादा नाइट्रोजन की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए इन पौधों, झाड़ियों के लिए उर्वरकों में नाइट्रोजन कम और फॉस्फोरस अधिक होनी चाहिए।

पौधों में फॉस्फोरस की कमी के लक्षण – पौधों में फॉस्फोरस की कमी से जड़ों का सही से विकास नहीं हो पाता है जिससे पौधे छोटे होते हैं और पत्तियों में स्पष्ट रूप से बैंगनी रंग दिखाई देने लगता है। पौधा फॉस्फोरस की कमी के कारण खराब फल और बीज पैदा करता है।

पौधों में फॉस्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए आप बोन मील, रॉक फॉस्फेट, वर्मी कम्पोस्ट जैविक उर्वरक का इस्तेमाल किया जा सकता है।

पोटेशियम (K) – Potassium plant nutrients in Hindi

पोटेशियम सभी प्रकार के पौधों के लिए एक प्राइमरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स है, जो पौधे के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है। यह पौधों द्वारा अधिक तापमान को झेलने की क्षमता बढाता है। पोटेशियम पौधों को रोगों से लड़ने में मदद करता है, पौधों की कोशिकाओं को मजबूत बनाता है और पौधों में पानी को स्थानांतरित करने में मदद करता है।

चूंकि अधिकांश मिट्टी में पोटेशियम उपस्थित होता है, इसलिए जो उर्वरक आप खरीदते हैं, उसके NPK के मान में पोटेशियम (K) कम देखने को मिलता है।

पौधों में पोटेशियम की कमी के लक्षण – पौधों में पोटेशियम की कमी के कारण पौधा ठण्ड के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। उसके तने कमजोर हो जाते हैं, पुरानी पत्तियों के किनारे ब्राउन रंग के झुलसे हुए दिखाई देने लगते हैं। पौधा सिकुड़े हुए बीज और फल पैदा करता है।

रेतीली मिट्टी और अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाई जाने वाली मिट्टी में अक्सर पोटेशियम की कमी देखने को मिलती है।

पोटेशियम की कमी को पूरा करने के लिए वर्मीकम्पोस्ट, नीम की खली, लकड़ी की राख या पोटाश (Potash) उर्वरक दिए जा सकते हैं।

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कैल्शियम – Secondary plant Nutrients Calcium (Ca) in Hindi

कैल्शियम सामान्य पौधे की कोशिकाओं को मजबूत रखने और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है तथा युवा जड़ों के अच्छे विकास को बढ़ावा देता है। कैल्शियम पौधों में कोशिका भित्ति (Cell walls) के निर्माण में भी मदद करता है।

पौधों में कैल्शियम की कमी के लक्षण – कैल्शियम की कमी के कारण जैसे-जैसे पौधे की कोशिकाएं कमजोर होती जाती हैं, पौधे का संवहनी तंत्र (vascular system) नष्ट होने लगता है, जिससे पौधों द्वारा सभी पोषक तत्वों का अवशोषण भी कम हो जाता है। इसके लक्षण सबसे पहले टहनियों और जड़ों दोनों के बढ़ते सिरों पर दिखाई देते हैं।

कैल्शियम एक गतिहीन तत्व है, जिसका अर्थ है, कि जब इसकी कमी होती है, तो पौधा कैल्शियम को पुरानी पत्तियों से नई पत्तियों में स्थानांतरित नहीं कर सकता है। जिसके कारण नई पत्तियां अक्सर विकृत होकर मुरझाने लगती हैं तथा पत्तियों पर मृत धब्बे उत्पन्न होने लगते हैं। अत्यधिक अम्लीय मिट्टी के कारण पौधों में कैल्शियम की कमी हो सकती है।

मैग्नीशियम – Secondary plant Nutrient Magnesium (Mg) in Hindi

पौधों में मैग्नीशियम बीज निर्माण में सहायता करता है। चूंकि मैग्नीशियम क्लोरोफिल में निहित है, अतः यह पौधों के गहरे हरे रंग और प्रकाश संश्लेषण से भोजन बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्लांट मैक्रोन्यूट्रिएंट्स है। मैग्नीशियम पौधों में शर्करा, प्रोटीन, तेल और वसा के निर्माण के लिए आवश्यक है, अन्य पोषक तत्वों (विशेष रूप से फॉस्फोरस) के अवशोषण को नियंत्रित करता है और फास्फोरस का वाहक भी है।

पौधों में मैग्नीशियम की कमी के लक्षण – मैग्नीशियम की कमी के लक्षणों में पुरानी पत्तियों की शिराओं (veins) के बीच धब्बेदार पीलापन शामिल है जबकि शिराएं (veins) हरी रहती हैं। पीले धब्बेदार क्षेत्र ब्राउन हो सकते हैं और पत्तियां गिर सकती हैं। पौधों में कम फॉस्फोरस (चयापचय) मेटाबोलिज्म के कारण पत्तियां लाल-बैंगनी रंग की हो सकती हैं, और बीज का उत्पादन कम होता है। पौधों में ठण्ड लगने का खतरा बढ़ जाता है तथा पत्तियाँ पतली, भंगुर और जल्दी गिरती हैं।

मैग्नीशियम की कमी के कारण – अधिक जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी में और N तथा K के उच्च स्तर को शामिल करने वाली मिट्टी में मैग्नीशियम की कमी की सबसे अधिक संभावना होती हैं।

सल्फर – Secondary plant Nutrients Sulfur (S) in Hindi

सल्फर पौधों में गहरे हरे रंग को बनाए रखने में मदद करता है, और पौधों की अधिक जोरदार वृद्धि को प्रोत्साहित करता है। पौधों में क्लोरोफिल के निर्माण के लिए सल्फर की आवश्यकता होती है। पौधों के लिए सल्फर, फास्फोरस जितना ही आवश्यक है।

पौधों में सल्फर महत्वपूर्ण एंजाइम बनाने में मदद करता है और पौधों द्वारा प्रोटीन निर्माण में सहायता करता है। सल्फर मृदा कंडीशनर (soil conditioner) के रूप में भी कार्य करता है और मिट्टी में सोडियम की मात्रा को कम करने में मदद करता है। पौधों में सल्फर कुछ विटामिनों का एक घटक है और सरसों, प्याज और लहसुन को स्वाद देने में मददगार है। मिट्टी में सल्फर की कमी दुर्लभ होती है।

पौधों में सल्फर की कमी के लक्षण – पौधों को सल्फर की बहुत कम मात्रा की आवश्यकता होती है, लेकिन इसकी कमी से पौधों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। सल्फर की कमी पौधों की मंद वृद्धि और विलंबित परिपक्वता के साथ छोटे स्पिंडली पौधे (spindly plants) या नुकीले पौधे विकसित होने का कारण बनती है।

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बोरॉन – Plant micronutrients Boron (B) in Hindi

बोरॉन पौधों के कोशिका विकास में मदद करता है और पौधों के चयापचय को नियंत्रित करता है। यह पौधों के लिए बहुत कम मात्रा में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व (micronutrients) है। यदि पौधों के लिए बोरॉन बहुत अधिक मात्रा में दिया जाता है तो यह विषाक्तता का कारण बन सकता है।

सब्जियों (vegetable plants) में बोरॉन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह प्रोटीन संश्लेषण, कोशिका भित्ति के विकास, कार्बोहाइड्रेट चयापचय, शर्करा स्थानान्तरण, पोलन ग्रेन जर्मिनेशन और बीज विकास के लिए आवश्यक है। बोरॉन गतिशील है और रेतीली मिट्टी में आसानी से पानी के साथ बह जाता है।

पौधों बोरॉन की कमी के लक्षण – पौधों में बोरॉन की कमी के कारण मोटे, मुड़े हुए, मुरझाए हुए और क्लोरोटिक (हरिमाहीन) पत्ते विकसित होते हैं। इसके अलावा फलों और कंदों में नरम और विक्षिप्त धब्बे, कम फूल लगना या अनुचित परागण होना इत्यादि पौधों में बोरॉन की कमी के प्रमुख लक्षण है।

क्लोरीन – Trace plant nutrients Chlorine (CI) in Hindi

क्लोरीन पौधों की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में शामिल एक महत्वपूर्ण घटक है। यह पौधों की रोगों से सुरक्षा के लिए आवश्यक है। पत्ती के छिद्र, जिसे रंध्र (stomata) कहा जाता है, में गैसों के आदान-प्रदान की अनुमति देने के लिए क्लोराइड महत्वपूर्ण है। यह पोषक तत्व पौधों में पोटेशियम की वृद्धि को संतुलित करने में अहिम भूमिका निभाता है।

पौधों में  क्लोराइड की कमी प्रकाश संश्लेषण को रोकती है, जिससे पौधों के स्वास्थ्य को खतरा होता है।

कॉपर – Micronutrients in plants Copper (Cu) in Hindi

कॉपर एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्लांट न्यूट्रीएंट है। चूँकि पौधों को अधिक कॉपर की आवश्यकता नहीं होती है। यह आपके पौधों में एंजाइम को सक्रिय करता है जो लिग्निन (lignin) को संश्लेषित करने में मदद करता है। लिग्निन प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया का हिस्सा होने के साथ साथ यह कुछ प्रकार की सब्जियों में स्वाद और कुछ फूलों में रंग प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है।

पौधों में कॉपर की कमी के लक्षण – पौधों में कॉपर स्थिर होता है, इसलिए यदि पौधों में कॉपर की कमी होती है, तो इसका असर पौधे के नए विकास में दिखाई देगा। कॉपर की कमी के कारण पौधों में लगने वाली नई पत्तियाँ फटने लगेंगी और पत्तियों की शिराओं के बीच क्लोरोसिस (leaf chlorosis) दिखाई देगा। यदि इसकी गंभीर कमी होती है, तो पत्तियां सूख जाएगी और पौधे से अलग हो सकती हैं।पौधों में कॉपर की कमी के कारण लीफ नोड्स (Leaf nodes) एक साथ और पास-पास बढ़ने लगेंगे, जिससे प्लांट में स्क्वाट लुक (squat look) आएगा।

आयरन – Micronutrients in plants Iron (Fe) in Hindi

पौधों में आयरन क्लोरोफिल के निर्माण और अन्य जैव रासायनिक प्रक्रियाओं से सम्बंधित होता है। आयरन एक पोषक तत्व है जिसकी जरुरत सभी पौधों को होती है। पौधे के कई महत्वपूर्ण कार्य जैसे एंजाइम और क्लोरोफिल उत्पादन, नाइट्रोजन फिक्सिंग (nitrogen fixing), तथा पौधे की वृद्धि और मेटाबोलिज्म जैसे सभी कार्य आयरन पर निर्भर हैं।

आयरन की कमी के लक्षण – पौधों में आयरन की कमी का सबसे स्पष्ट लक्षण आमतौर पर लीफ क्लोरोसिस (leaf chlorosis) कहलाता है। इस स्थिति में पौधे की पत्तियां पीली हो जाती हैं, लेकिन पत्तियों की शिराएं (veins) हरी रहती हैं। आमतौर पर, लीफ क्लोरोसिस पौधे में नई वृद्धि के टॉप पर शुरू होगा और अंततः पौधे के पुराने पत्तों को प्रभावित करेगा। अन्य लक्षणों में पौधे की खराब वृद्धि और पत्ती का नुकसान शामिल है।

मैंगनीज – Micronutrients in plants Manganese (Mn) in Hindi

मैंगनीज क्लोरोफिल का हिस्सा नहीं है। लेकिन मैंगनीज की कमी के लक्षण मुख्य रूप से मैग्नीशियम के समान हैं, क्योंकि मैंगनीज प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में शामिल होता है।

पौधों में मैंगनीज की कमी के लक्षण – मैंगनीज की कमी के लक्षण सबसे पहले पौधे की नई पत्तियों पर दिखाई देते हैं। पौधों में मैंगनीज की कमी के कारण पत्तियाँ पीली हो जाती हैं और इंटरवेइनल क्लोरोसिस (interveinal chlorosis) का कारण बन सकता है।

मोलिब्डेनम (Mo) – Molybdenum Micronutrients in plants in Hindi

मोलिब्डेनम पौधों को नाइट्रोजन का उपयोग करने में मदद करता है। गैर-फलियां वाली फसल (जैसे फूलगोभी, टमाटर, लेटस, सूरजमुखी और मक्का) में, मोलिब्डेनम पौधे को मिट्टी से लिए गए नाइट्रेट्स का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।

पौधे में मोलिब्डेनम की कमी के लक्षण – जहां पौधे में अपर्याप्त मोलिब्डेनम होता है, वहां नाइट्रेट्स (nitrates) पत्तियों में जमा हो जाता है और पौधा उसका उपयोग प्रोटीन बनाने के लिए नहीं कर पाता है। इसके परिणामस्वरुप नाइट्रोजन की कमी के समान लक्षण उत्पन्न होते हैं और पौधे का विकास रूक जाता है। नाइट्रेट्स के संचय से पत्तियों के किनारे झुलस सकते हैं।

जिंक (Zn) – Plants micronutrients zinc in Hindi

पौधों द्वारा जिंक का उपयोग एंजाइम और हार्मोन के विकास में किया जाता है। इसका उपयोग पत्तियों द्वारा किया जाता है और बीज बनाने के लिए फलियों द्वारा इसकी आवश्यकता होती है। जिंक का कार्य पौधे को क्लोरोफिल बनाने में मदद करना है।

पौधों में जिंक की कमी के लक्षण – जब मिट्टी में जिंक की कमी होती है, तो पौधों की वृद्धि रुक ​​जाती है तथा पत्तियां मुरझा जाती हैं। जिंक की कमी से पौधों में क्लोरोसिस (Chlorosis) नामक बीमारी होती है, जिसके कारण पत्तियों की शिराओं के बीच के ऊतक पीले हो जाते हैं। जिंक की कमी में क्लोरोसिस आमतौर पर तने के पास पत्ती के आधार को प्रभावित करता है। क्लोरोसिस पहले निचली पत्तियों पर दिखाई देता है, और फिर धीरे-धीरे पौधे की ओर बढ़ता है। गंभीर मामलों में, ऊपरी पत्तियां क्लोरोटिक हो जाती हैं और निचली पत्तियां ब्राउन या बैंगनी हो जाती हैं और मर जाती हैं।

पौधे को देखकर जिंक की कमी और अन्य ट्रेस तत्व या सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के बीच अंतर बताना मुश्किल है क्योंकि इन सभी के लक्षण समान हैं। मुख्य अंतर यह है कि जिंक की कमी के कारण क्लोरोसिस (Chlorosis) निचली पत्तियों पर शुरू होता है, जबकि आयरन, मैंगनीज या मोलिब्डेनम की कमी के कारण ऊपरी पत्तियों पर क्लोरोसिस शुरू होता है।

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कैसे पता करें कि मिट्टी में कौन सी खाद डालनी है? – How to know what fertilizer to add to the soil in Hindi

पौधे को अच्छी वृद्धि और विकास के लिए प्राथमिक, द्वितीयक और ट्रेस पोषक तत्वों के बीच एक संतुलन की आवश्यकता होती है। और जब ये रासायनिक पोषक तत्व सही संतुलन में नहीं होंगे तो पौधे खराब प्रदर्शन करेंगे।

मिट्टी परीक्षण की मदद से आप मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी का पता लगा सकते है और उसी के अनुसार खाद का चुनाव कर सकते हैं। मिट्टी के नमूने को एक विश्वसनीय और स्थापित प्रयोगशाला में भेजें। आपको परीक्षण से पहले एक  फॉर्म भरने के लिए दिया जाएगा। आपको मिट्टी में उगाई जाने वाली फसल एक बारे में भी बताना होगा। मिट्टी परीक्षण की रिपोट के आधार पर यह ज्ञात हो जाता है कि मिट्टी में किस प्रकार के पोषक तत्व की कमी है तथा उगाई जाने वाली फसल के आधार पर कौन सा उर्वरक फायदेमंद होगा।

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